देख मत मुड़कर परिन्दे
देख मत मुड़कर परिन्दे
सामने आकाश का विस्तार है
लोग मापेंगे तुम्हारे फासले जो तय किये हैं
हाथ में फीता लिए
किन्तु तुमको फासलों की है नहीं परवाह
क्षितिज तक उड़ना तुम्हारी चाह
सांस सीने में परों में शक्ति है
अनवरत उड़ना तुम्हारी नियति है, संसार है
देख मत मुड़कर परिन्दे
सामने आकाश का विस्तार है
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